आपके स्मार्टफोन की IP रेटिंग 68 है या 69? इससे कोई फर्क पड़ता है?

हमारे स्मार्टफोन में सबसे बेकार फीचर शायद IP रेटिंग होना चाहिए. आपका फोन धूल और पानी से कितना सेफ है, ये बताने वाली रेटिंग साल 2010 से ही फोन के साथ आ रही है. तब के बरस Motorola Defy फोन को IP67 रेटिंग मिली थी. इसके बाद से तकरीबन हर फोन में ये रेटिंग (ip68-vs-ip69) होती है. मगर कंपनियां इसके साथ वारंटी नहीं देतीं. फिर भला किस काम की हुई ये रेटिंग? बंद ही कर दो इसके बारे में बताना. मगर हुआ तो उल्टा है. आजकल फोन IP68 के साथ IP69 रेटिंग भी आ रही है.

 

लेकिन वारंटी फिर भी नहीं मिलेगी. तो फिर इस रेटिंग का क्या मतलब है? चलो रेटिंग दे भी दी तो फिर सीधे हायर वाली रेटिंग क्यों नहीं लिखते? 8 में ऐसा क्या नहीं जो 9 भी लिखना पड़ रहा है. और 9 में ऐसा क्या है जो 8 छोड़ा नहीं जा रहा? समझते हैं.

क्या है IP रेटिंग?

IP रेटिंग चार अंकों का एक शब्द होता है, जैसे कि IP67 या IP68. इसमें ‘IP’ का मतलब है ‘इन्ग्रेस प्रोटेक्शन’. यानी बाहर से किसी चीज के अंदर आने पर कितनी सुरक्षा मिलेगी. फिर तीसरे और चौथे अंक नंबर हैं, जैसे कि 67 और 68 जो (क्रमशः) धूल और पानी से बचाव के लिए होते हैं. धूल के लिए 6 इस्तेमाल होता है जो अधिकतम रेटिंग है. छोटे रेत या बारीक धूल से बचाने के लिए. आखिरी अंक 7 या 8 पानी से बचाव की रेटिंग को बताता है, और ये भी अधिकतम 8 होता है. 

फिर 9 कहां से आया? यही तो गेम है जो यूजर के साथ खेला जा रहा है. ये गेम भी बताएंगे लेकिन पहले जरा एक और जरूरी जानकारी जान लीजिए. फोन या किसी भी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को कितनी रेटिंग मिलेगी वो The International Electrotechnical Commission (IEC) तय करती है. ये संस्था कई सारे टेस्ट करके रेटिंग देती है. ये एक महंगा प्रोसेस है. एकदम कारों की सेफ्टी रेटिंग के जैसे. इसलिए कई स्मार्टफोन कंपनियां अपने लेब टेस्ट के आधार पर भी रेटिंग लिख देती हैं. मांगने पर भी सर्टिफिकेट नहीं दिखातीं. खैर वो झोल की पोल हम पहले खोल चुके. अब वापस आते हैं IP69 रेटिंग रेटिंग पर.

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